मी टू
बता दूँ क्या
या रहने दूँ
जो मुरदे गड़े हुए हैं
उन्हें उखाड़कर क्या होगा
जो हो चुका
उसे अनहुआ तो कर नहीं सकते
कौन बताएगा कि उसमें
किसकी कितनी सहमति थी
कितनी मौकापरस्ती
और कितनी मजबूरी
बीसियों साल से नहीं खुली बात
तो इनमें से कुछ तो रहा होगा
और ये मी टू भी
कितने असली हैं
और कितने प्रायोजित
कौन जाने
जो हो रहे हैं बलात्कार, छेड़छाड़, हिंसा
आज के दिन
उसे रोको यार
जो बीत गयी
उस बात को जाने भी दो यारो