Wednesday, October 17, 2018

मी टू 

बता दूँ क्या 
या रहने दूँ 
जो मुरदे गड़े हुए हैं 
उन्हें उखाड़कर क्या होगा 
जो हो चुका 
उसे अनहुआ तो कर नहीं सकते 

कौन बताएगा कि उसमें
 किसकी कितनी सहमति थी 
कितनी मौकापरस्ती 
और कितनी मजबूरी 
बीसियों साल से नहीं खुली बात 
तो इनमें से कुछ तो रहा होगा 

और ये मी टू भी 
कितने असली हैं 
और कितने प्रायोजित 
कौन जाने 

जो हो रहे हैं बलात्कार, छेड़छाड़, हिंसा 
आज के दिन 
उसे रोको यार 
जो बीत गयी 
उस बात को जाने भी दो यारो 

No comments:

Post a Comment